दोस्त

चलते-चलते राहो मे

कुछ लोग हमे मिल जाते है

और धीरे-धीरे इस दिल का

एक हिस्सा सा बन जाते है

वो होते बडे कमीने से

पर दिल के साफ वो होते है

अपनी चिकनी-चुपडी बातो मे

हमे फसाते है बचाते है

पर कभी कभी वो अंजाने

हमको हमीसे मीलाते है

न जाने कैसे वो अंजने

इस दिल का राज जान लेते है

वो लढते है, झगडते है

फिर रुठते है मनाते है

पर जब भी याद आ जाते है

इस दिल को रुला के जाते है

                                                                        अश्वजीत कदम …

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